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घाव को भरने के लिए आपको इसे छूने से रोकने की जरूरत है।

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English Proverb

अर्थ


यह कहावत कहती कि घाव को भरने के लिए बहुत से  जतन करने पड़ते हैं जैसे कि मरहम,दवाई या फिर परहेज़ के साथ-साथ उसे बार-बार छूने से बचना जिस कारण वह घाव और अधिक न दर्द दे । कुछ घाव या ज़ख़्म ऐसे भी होते है, जो दिखाई नहीं देते लेकिन अन्दर ही अन्दर इंसान को तक़लीफ़ देते है इस प्रकार के घाव अक्सर ह्रदय में लगने वाली किसी बात, विश्वासघात आदि से मिलते है। जिनके बारे में न हम किसी से कह सकते है और इस प्रकार के घावों की पीड़ा सहना भी बहुत मुश्कि़ल होता है। 

हम कह सकते हैं कि मन पर हुए घाव ज़्यादा दुःख पहुँचाते हैं। दिखाई देने वाले घाव की तो सब चिंता करते हैं लेकिन जो घाव मन की स्लेट पर निशान छोड़ जाते है, उन्हें समझने वाला कोई नही होता है।
उस घाव को आपको स्वयं ही सहना पड़ता है और वैसे भी किसी की मानसिक पीडा़ को समझना  हर व्यक्ति में सामर्थ्य नही होता है  इसलिए एक कहावत पूर्णतः सत्य है "घाव को भरने के लिए आपको इसे छूने से रोकने की जरूरत है।" इस प्रकार के घावों के लिए धैर्य एवं साहस से ठीक किया जाए यह अधिक सुविधाजनक है।

परिचय

कभी कभी कुछ सपनो के टूटने का दर्द, कभी अपनो के बदलने का सदमा और कभी लगातार मिल रही असफलता का ग़म इंसान को असहनीय पीडा़ दे जाता है। जो ऐसे कठिन समय में सकारात्मकता के साथ खडे़ होकर आगे बढ़ने का प्रयास करता है, वो हर प्रकार की परिस्थिति का सामना करने की हिम्मत भी रखता है। कभी-कभी हम अपने लिए बहुत अधिक उम्मीदें रखने लगते है, हालाकि ख़्वाहिश करना, बडे़-बडे़ सपने देखना,अपने बारे में अच्छा सोचना कोई बुरी बात नहीं परन्तु 'पेड़ से कटी टहनी कभी छाँव नही देती हद से ज्यादा उम्मीदें हमेशा घाव देती है'

 ऐसे समय में हमें अपना धैर्य नहीं खोना चाहिए। क्योंकि कोशिश करना भी साहसी होने का प्रमाण देता  है।

     किन्तु आजकल की भाग-दौड़ की जि़न्दगी में जब लोगों के पास अपनो के लिए भी समय नही है,अवसाद से पीडित होना भी आज के युग में एक आम बात हो गई है। सबकुछ होते हुए भी कुछ कमी सी लगती है, और वो कमी है अपनेपन का अहसास न होना । केवल शहरों में ही नही बल्कि गांव का जीवन भी अब अवसाद(depression)  की ओर अग्रसर है जिसके परिणाम- स्वरूप प्राकृतिकता मृतप्राय होती जा रही है।जिसके कारण व्यक्ति के जीवन में संतोष की भावना पूर्ण रूप से तिमिर की ओर जा रही है। जो व्यक्ति को एक अपरिचित  घाव की भाँति अन्दर ही अन्दर घर किए जा रही है। दुनिया की भीड़ में भी हर कोई स्वयं को तन्हा महसूस कर रहा है। 

इन्ही विचार पर एक शेर याद आता है-

"कोई नहीं समझता मेरे हालात
कोई नहीं जानता मेरे ख़्यालात।
मैं अकेला हूँ दुनिया की भीड़ में
बहुत मुश्किल है समझना मेरे ज़ज़्बात।।

         यदि देखा जाए तो दुःखी होने का कारण हम स्वयं है,कोई दूसरा व्यक्ति आपको खुशी या ग़म नहीं दे सकता, क्योंकि खुश रहना या छोटी छोटी बातों पर दुःखी हो जाना कहीं न कहीं हमारे  व्यवहार पर निर्भर करता है। बहुत अधिक ख़्वाहिश करना, स्वयं से अपेक्षा करना कभी कभी बोझ बन जाता है,जो एक समय में थकाऊ लगने लगता है और यदि हम अपनी उम्मीदों पर खरे नहीं उतर पाते है तो यह हमें अवसाद की ओर ले जा सकते है।

         इस बात का ध्यान रखें इससे कोई फर्क नहीं पड़ता आप कौन हैं, एक साधारण व्यक्तित्व हैं या कोई का़मयाब किरदार , यदि आप सही समय पर सही फैसला लेने में सक्षम है तो जीवन की  हर मुश्कि़ल का सामना आसानी से कर सकते है।


         इसलिए कोई भी  काम अपनी क्षमता और रुचि के अनुरुप ही करना चाहिए, यदि आप जीवनरुपी नाव को किनारे तक ले जाना चाहते हो, तो उतार चढा़व का सामना करना भी आम बात है। परन्तु सही निर्णय व सही चयन के माध्यम से जीवन को सुखमय बनाया जा सकता है, फिर जीवन का हर दिन किसी सुहाने सपने से कम प्रतीत नहीं होगा। यदि इसी बीच कोई घाव मिलते है तो "घाव को भरने के लिए आपको इसे छूने से रोकने की जरूरत है।"

         एकाग्रता के अभाव के कारण कुछ असामान्य लक्षण प्रतीत होना स्वाभाविक है परन्तु हर समस्या का निदान भी होता है।  जैसे- अनुलोम- विलोम , योग, व्यायाम, प्रतिदिन सुबह की सैर पर जाना आदि आपको मानसिक तनाव से दूर रखेंगे। इसलिए जीवन में इनका भी एक महत्वपूर्ण स्थान है।

    लेकिन जीवन के सत्य को स्वीकार करना एक स्वस्थ चरित्र की पहचान है। जो लोग सत्य को स्वीकार नहीं कर पाते है और वास्तविकता से दूर रहते हैं, वो कभी भी जीवन का आनन्द नहीं ले पाते है। बल्कि या तो डरपोक हो जाते है,या फिर हिम्मत हारकर भाग्य को दोष देते हैं।

यदि हम समय के अनुसार स्वयं देखकर नहीं चलते तो चोट लगने का ड़र भी बना रहता है इसलिए जीवनरूपी गाडी़ में चलते समय  हमें सावधानी बरतनी चाहिए। असफलता भी घाव के समान है जिसे भुलाने के लिए पुरानी गलतियों से सीखना आवश्यक है।

असफलता को बुरे सपने की तरह भूल जाने में ही भलाई है फिर किसी भी तरह का घाव आपको ज़्यादा दिन तक परेशान नहीं करेगा। 

इसलिए कहा गया है-
हर दिन है सुहाना सफ़र
माना कि मुश्किल हैं जि़न्दगी की ड़गर।
भर जायेगा हर घाव, हर ज़ख़्म
घाव को कुरेदने से बचना होगा मग़र।।


वाक्य प्रयोग-

 (Example sentences by Tanvi Kushwaha)
1- अक्सर जो लोग अपने अतीत को भुलाकर जीवन में आगे बढ़ने के पर्यास करते है ऐसे लोगों को अक्सर कुछ उद्ण्ड लोग बढ़ने नही देते पुरानी बातें याद दिलाकर सोचते है कि शायद भविष्य में वो इस प्रकार का कार्य न करे जिससे दुबारा घाव हो लेकिन उन्हें कौन समझाए "घाव को भरने के लिए इसे छूने से रोकने की जरूरत है।"

2- माँ के दूसरे लोक में जाने के बाद कुछ महीने बाद वो अवसाद से निकलने के लिए योग करने लगा कितुं रिश्तेदार उसके योग करने का मज़ाक बनाने लगे लेकिन उसने कड़ी आवाज़ में कह दिया "घाव को भरने के लिए इसे छूने से रोकने की जरूरत है" जिसके बाद सब शांत हो गए।

3- राघव हमेशा अपने मित्र केशव के साथ उसका दुःख बाँटकर उसे समझाने का प्रयास करता था जिसे उसके कुछ दोस्त समय बर्बादी करने का नाम देकर पुरानी बातों को चर्चा का विषय बना देते थे लेकिन राघव ने तंग आकर उन दिखावटी मित्रो को दूर करके कह दिया "घाव को भरने के लिए इसे छूने से रोकने की जरूरत है।"

4- "घाव को भरने के लिए इसे छूने से रोकने की जरूरत है" यह कर रीमा की माँ ने  रीमा के खराब स्कूल के परिणाम पर निरंतर सुना रहे पिता से कहकर रीमा को अवसाद में जाने से बचाया । 
                                                                                                              
-- Article by Hya Qazi 

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